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लेखनी कहानी -29-Sep-2023

भाग 1

दोस्तो आज से एक नया सस्पेंस, थ्रिलर , क्राइम और रोमांस से संबंधित नया धारावाहिक शुरू कर रहा हूं । विश्वास है कि आप लोगों को यह धारावाहिक बहुत पसंद आयेगा । इसमें रहस्य, रोमांच का सागर होगा जिसमें आप सब लोग गहरे उतर कर आनंद में खो जायेंगे । यह एक मर्डर मिस्ट्री है जो हर पल चौंकाती रहेगी । मुझे उम्मीद है कि आप इस धारावाहिक को भी उतना ही प्यार देंगे जितना आप मेरी हर रचनाओं को देते आये हैं । तो चलिए शुरू करते हैं ।  लीना बहुत गहरी नींद में थी कि अचानक उसका मोबाइल बज उठा । "इतनी रात को किसका फोन हो सकता है ? शायद राज का होगा ! पर यह भी कोई टाइम है क्या फोन करने का" ?  वह बड़बड़ाती हुई पलंग से खड़ी हुई कि इतने में फोन बंद हो गया । उसने सामने दीवार पर टंगी घड़ी देखी । 4 बजकर 5 मिनट का समय बता रही थी वह घड़ी । सुबह होने को थी । मोबाइल बंद होने से वह वापस अपने बिस्तर पर लेटने ही वाली थी कि मोबाइल फिर से बज उठा ।  "कौन हो सकता है इतनी रात को ? लोग रात में सोने भी नहीं देते हैं । ऐसा क्या काम आ गया जो रात के चार बजे फोन कर रहा है कोई" ?  वह पैर पटकती हुई सामने रखी मेज तक गई । मोबाइल वहीं पर पड़ा हुआ था । उसने मोबाइल देखा तो पता चला कि वीरेंद्र का फोन था । वीरेंद्र उनके फॉर्म हाउस का केयर टेकर था ।  "अब इसे क्या हुआ है जो इतनी रात को फोन कर रहा है" ? उसने तनिक गुस्से से फोन रिसीव किया और चिल्लाकर कहा "ये कोई टाइम है फोन करने का ? ऐसा क्या हो गया है वीरेंद्र जो इस समय तुझे फोन करना पड़ा ? सुबह तक रुक जाता तो क्या पहाड़ टूट जाता" ? उसका गुस्सा सातवें आसमान पर था ।  "मैम साब .. । मैम साब ..."  "ये क्या मैमसाब मैमसाब लगा रखा है ? जल्दी बोल" ?  "मैमसाब, वो साहब जी" ! उनके नौकर वीरेंद्र की घबराई हुई आवाज आई । उसकी आवाज से लग रहा था कि वह बहुत घबराया हुआ है और परेशान है ।  "अब कुछ बोलेगा भी या मैमसाब मैमसाब ही करता रहेगा" । लीना फिर से चिल्ला पड़ी ।  "मैमसाब, वो साहब जी नहीं रहे" । वीरेंद्र ने एक झटके में अपनी बात खत्म कर दी ।  "क्या ? तू पागल तो नहीं हो गया है ? तुझे कैसे पता ? किसने बताया" ? लीना पागलों की तरह चीखते हुए बोली  "मैमसाब, वो साहब जी मेरे सामने ही पड़े हैं । उनके शरीरमें कोई हरकत नहीं हो रही है" । वीरेंद्र के जोर जोर से रोने की आवाजें आने लगी ।  "तेरा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है ? साहब तो दिल्ली गये हुए हैं । तेरे सामने कैसे हो सकते हैं ? तूने आजकल दारू पीना शुरू कर दिया है क्या" ? लीना लगभग चीखते हुए बोली ।   "मैं सच कह रहा हूं मैमसाब । साहब अपने फॉर्म हाउस में ही हैं और अब वे जिन्दा नहीं हैं शायद । आप जल्दी से आ जाओ । मुझे बहुत डर लग रहा है" । वीरेंद्र के रोने की आवाजें लगातार आ रही थी ।

वीरेंद्र की बात सुनकर लीना के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई । उसे चक्कर आने लगे और वह वहीं कुर्सी पर धम्म से बैठ गई ।  "क्या ? कैसे और कब हुआ ये" ? जैसे तैसे लीना बोली ।  "मुझे कुछ नहीं पता मैमसाब । मैं तो शराब लेने चला गया था । साहब और "वो" शराब पी रहे थे कि शराब खत्म हो गई तो साहब ने मुझे शराब लाने के लिए भेज दिया । जब वापस लौटा तो देखा कि साहब बिस्तर में पड़े हैं और वह लड़की भी गायब है" । वीरेंद्र बड़ी मुश्किल से बोल पा रहा था ।  "कौन लड़की ? और कहां गई वह" ? लीना को झटके पे झटके लग रहे थे ।  "मैमसाब, आप जल्दी से यहां आ जाओ । मैं यहीं पर बता दूंगा सब कुछ । अब देर ना करो । मुझे बहुत डर लग रहा है मैमसाब" । और वीरेंद्र दहाड़ें मारकर रोने लगा ।

लीना का दिमाग सुन्न हो गया । राज तो अपने काम से दिल्ली गया था फिर वह फॉर्म हाउस में कैसे पहुंचा ? और वो लड़की कौन थी जो चुपचाप निकल गई  ? पर अभी यह सोचने का न तो समय था और न ही शक्ति । अभी तो उसे तुरंत निकलना था । उसने फटाफट अपनी गाड़ी की चाबी उठाई और पर्स में डाल ली । अपना मोबाइल भी उठाया और पर्स में डाल लिया ।  "अरे यार ! गाड़ी तो खराब पड़ी है" । अचानक उसे याद आया । "इसे भी आज ही खराब होना था ? अब क्या करें" ? वह सोच में पड़ गई और गुस्से में उसने एक जोर की किक बैड पर दे मारी । उसका पैर जैसे ही बैड से टकराया , एक जोर की चीख के साथ वह वहीं पर गिर पड़ी ।  "गुस्से में अब अपनी टांग भी तुड़ा बैठी ना ? और कर गुस्सा ! अब क्या करेगी तू लीना ? उधर राज की लाश फॉर्म हाउस में पड़ी है , इधर गाड़ी खराब पड़ी है और अब पैर में भी मोच आ गई है" । उसे खुद पर और अपनी तकदीर पर गुस्सा आ रहा था ।  "सब कुछ आज की रात को ही होना था ! सारी मुसीबतें भी एक साथ ही आनी थी ? हे भगवान  ! अब मैं क्या करूं" ? उसने सामने घड़ी देखी । साढे चार बज गये थे । वह जोर लगाकर धीरे धीरे खड़ी हुई और पर्स से अपना मोबाइल निकाल कर "टैक्सी सर्विस" को मिलाने लगी ।  "हैलो , हैलो । एक टैक्सी चाहिए अभी तुरंत" । लीना भी अब घबरा गई थी ।  "क्या ? क्यों नहीं है टैक्सी ? इतनी बड़ी ऐजेन्सी लेकर बैठे हो और कह रहे हो कि टैक्सी नहीं है । क्या कोई मजाक चल रहा है यहां ? पैसे जो चाहो ले लेना पर मुझे अभी टैक्सी चाहिए । बहुत अर्जेन्ट है" । लीना रिक्वेस्ट करते हुए बोली । उधर से शायद मना कर दिया गया था इसलिए लीना जोर से चिल्लाई   "मैं कुछ नहीं जानती । मुझे एक टैक्सी चाहिए, अभी , समझ गये ना" ? फिर वह मिन्नतें करते हुए बोली  "कहीं से भी एक टैक्सी का इंतजाम कर दो ना भैया । मैं बहुत मुसीबत में हूं इस समय । मेरी गाड़ी खराब पड़ी है और मुझे अभी अपने फॉर्म हाउस पर जाना है । मेरे हज्बैंड बहुत बीमार हैं । प्लीज भैया , एक टैक्सी चाहिए बस । पैसे पूरे ले लेना"  "ठीक है मैम । मैं व्यवस्था करता हूं । पर पहले बोल देता हूं कि पैसे 50 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से लगेंगे । फिर बाद में झिकझिक मत करना । बोलो , क्या करना है" ? उधर से टैक्सी वाले ने अहसान जताते हुए कहा ।  "ओके भैया ! जो लेना है , लेकिन लेना। पर तुम टैक्सी अभी भेज देना । मुझे जल्दी जाना है इसलिए अभी भेज देना । मैं लोकेशन भेज रही हूं । ठीक है" ? लीना ने भगवान को लाख लाख धन्यवाद देते हुए कहा ।  "ठीक है मैडम । मैं खुद ही आ रहा हूं अभी । आप तैयार रहना" ।  "ओके" ।  अब जाकर लीना की सांस में सांस आई और वह घर का लॉक लगाकर बाहर आ गई ।

क्रमश :  शेष अगले भाग में ।  श्री हरि  29.9.23

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4 Comments

KALPANA SINHA

17-Oct-2023 12:35 PM

v nice

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Punam verma

03-Oct-2023 08:00 AM

Nice

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HARSHADA GOSAVI

30-Sep-2023 07:00 AM

Beautiful start

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